Tuesday, November 22

निशा का आमंत्रण

 

चुपके से कभी गुज़र जाया करे
कभी अठखेलियां कर रुलाया करे
पास आ के भाग जाया करे
छु के भी मुझे पराया करे


मेरे सफलता की कुंजी,
कभी तो मुझे भीच के धरे !
अपनाये और प्यार करे
ले जाये किसी एक मीनार पे
फिर जो करना हो करे !!

 


[ये निशा का आग्रह था की, मै उसके नाम एक कविता लिखूं, तब वो इस भोर मुझे कुंजी सौप कर जायेगी. बस हमने हर कोशिश की तरह एक ये भी कर डाली]