इस झूठ को सच मान डाला है
की दुनिया बुरी है
मै भला हूँ |
ये शब्दों की व्यथा भी देखे
सच और झूठ एक ही पंक्ति में
देखना तो बस नजरिया है
दुनिया बुरी है
मै भला हूँ |
रावण ने सीता हरण किया, अंहकार
राम ने वध किया, महिमा अपरम्पार
हरण या हत्या?
दुनिया बुरी है
मै भला हूँ|
कौरवो का राज, पाप
पांडवो का कपट, साफ़
द्रौपदी पे दांव, या उस दांव का मान?
दुनिया बुरी है
मै भला हूँ|
प्रतिदिन इस जीवन में
भावुकता देती हमारे मन को सींच
तर्क वितर्क तिरस्कार अलंकार
प्रेम घृणा को करते भींच
चल देते राह पे ये कहके,
दुनिया बुरी है,
मै भला हूँ|
न जाने कितनो का ह्रदय तोडे
कितनो का किया अपमान
सोचा नहीं, निशा और किरण का सम्बन्ध
मेघा और वर्षा में अंतर
बस, दुनिया बुरी है
मै भला हूँ|
झूठ ही सच है, और सच भी झूठ
जाने ये हम कब मानेंगे
की, हालात पहलु है, और हम नज़रिया
तब तक, दुनिया बुरी है
मै भला हूँ|
--राजीव रं. की रचना