Wednesday, February 15

शिकायतों का सिलसिला

शिकायतें तो होंगी तब भी, जब हम ना होंगे...
वैसे ही, जब तुमने मुझसे नहीं, एक चोले से प्यार किया था!
बेशक तुम हमपे बदल जाने का आरोप थोपो
बदले तो हम तब भी थे, जब तुमसे इश्क किया था...

 


निगोड़ी इश्क का फितूर ही कुछ ऐसा है जानेमन....!!!

1 comment:

रवि रतलामी said...

थोड़ी अजीब, अलग किस्म की शायरी है.